शिवपुरी (IDS-PRO) नदियों का अस्तित्व संकट में है; भविष्य में लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए अभी से सचेत होने की आवश्यकता है। समाज, संगठन और हम सब की जिम्मेदारी है कि नदियों के संरक्षण में जुट जाए, यह बात शुक्रवार को कार्यशाला में लखनऊ से पधारे मुख्य वक्ता श्री सी. वी. पाण्डे ने व्यक्त किए।
म.प्र. जनअभियान परिषद द्वारा नदियों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन विषय में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कम्यूनिटी हाॅल गांधी पार्क में किया गया। कार्यशाला में वर्तमान परिदृश्य में नदियों पर संकट, नदी संरक्षण में स्वच्छिक संगठनों, समाज एवं सरकार की भूमिका, नदी के संरक्षण में सामाजिक सहभागिता में संगठनों की भूमिका आदि विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए लोगों को भविष्य के लिए सचेत किया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री डी. के. मौर्य ने नदियों के अस्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि हमें पानी को बचाना है; साथ ही अपने खेतों में मेढ़बंदान तथा स्टाॅपडेम बनवाकर पानी को सहेजना होगा। जिससे किसानों की फसलें ठीक से हो सकेंगी। यदि पानी होगा तो ही जीवन संभव है।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जनअभियान परिषद के सलाहकार राघवेन्द्र गोतम ने भी कहा कि नदी केवल जल नहीं देती बल्कि जीवन देती है, इसे हमें पुर्नजीवित करना है। मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री आलोक एम.इंदौरिया ने शिवपुरी के गिरते जल स्तर पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज जल स्तर इतना नीचे गिर गया है कि हमें हजारों फिट गहराई से पीने का पानी उपलब्ध हो पा रहा है, यदि हमने पानी को नहीं सहेजा जो अगल विश्व युद्ध पानी के ऊपर ही होगा। कार्यशाला में सर्वशिक्षा अभियान के जिला समन्वयक डीपीसी श्री शिरोमणि दुबे, जनअभियान परिषद के संभाग समन्वयक श्री सुशील बरूआ, महिला बाल विकास अधिकारी श्री ओ. पी. पाण्डे, जनअभियान परिषद के जिला समन्वयक श्री धर्मेन्द्र सिंह सिसौदिया ने भी नदियों के पुर्नजीवन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला का संचालन श्री गिरीश मिश्रा एवं आभार प्रदर्शन जनअभियान परिषद के ब्लाॅक समन्वयक श्री शिशुपाल सिंह जादौन ने किया। कार्यशाला में प्रस्फुटन समिति, नवांकुर संस्था एवं स्वच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया एवं नदियों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन हेतु संकल्प लिया।