हमारी दुनिया में कई हजारो सालो से अलग-अलग पक्षिओ की प्रजातिया मोजूद थी जो अब विलुप्त हो चुकी हे इसमें से साल 1900 से लेकर अब तक के समय में इन जीवो की लगभग 200 प्रजातियाँ इस धरती से पुरी तरह समाप्त हो चुकी है। इनमे से कुछ तो ऐसे जीव है जिनकी संख्या लाखो में थी लेकिन इंसानों की गतिविधियों,जंगल का विनाश, हुमले और शिकार की वजह से ये अपना अस्तित्व बचा नही पाए।
कई सारे पक्षीओ की प्रजाति तो Prehistoric काल में ही समाप्त हो चुकी हे इसके आलावा भी आज विश्व में करीब 10000 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं इनमें से कुल 1200 प्रजातियां ऐसी है जोकि लुप्त होने की कगार पर है, इन पक्षियों की प्रजातियों को संकटग्रस्त घोषित किया गया है। चलिए जानते हे इस आर्टिकल में एसी ही कुछ पक्षिओ की प्रजातियो के बारे में जो विलुप हो गई है या होने वाली है।
दुनिया के कुछ विलुप्त पक्षी की सूची :-
1.) आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx)
2.) ड्रोमोनिर्स (Dromornis Stirtoni)
3.) डोडो पक्षी (Raphus Cucullatus)
4.) तस्मानियन इमु (Tasmanian Emu)
5.) कैरोलिना पेराकीट (Carolina Parakeet)
6.) अरबी शुतुरमुर्ग (Arabian Ostrich)
7.) संदेश वाहक कबूतर (Passenger Pigeon)
8.) गिद्ध पक्षी (Vulture)
पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त क्यों हो जाती है?
चलिए पहेले जानते हे की पक्षिओ की प्रजाति विलुप्त कैसे हो जाती है? इसके पीछे क्या वजह है? पक्षिओ के विलुप्त होने का करना बहोत सारे हे लेकिन इसका मूल कारन तो हम मनुष्य ही हे जो इन्सानों की तरह जीने के बजाय जानवर की तरह जीते है। मनुष्य द्वारा फेलाया गया प्रदुसण और जंगलो का विनाश इसमें मुख्य कारन हे इसके आलावा शिकार भी एक कारन है।
पक्षिओ की कुछ प्रजाति का नस्ट होने का कारन हवामान और मोसम में हुए बदलाव भी है। कभी कभी मोसम के इस बदलाव से पुरे की पूरी पक्षियो की प्रजाति ही नस्ट हो जाती है। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में भोजन न मिलने की वजह से भी इसके प्रजाति विलुप्त हो जाती है।
जेसे की आज के दौर पर हम मनुष्य अनाज को पकाने के लिए दवाये का इस्तमाल करते है और यह अनाज और पाक पक्षिओ के लिए जानलेवा साबित होता है और वो अंडे भी नहीं बना पाते है जीकी वजह से नए बच्चे भी जन्म नहीं ले सखते हे और पुरे की पुरे प्रजाति ही विलुप्त हो जाती है।
आज जीस तरह हम इन्सान टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ते जा रहे हे वो भी एक कारन है पक्षिओ की प्रजाति खत्म होने के लिए। इन्टरनेट और मोबाइल के टावर से निकलने वाले किरण पक्षिओ के लिए प्राणघातक है। पक्षिओ की प्रजाति विलुप्त होने का मुख्य कारन मनुष्य ही है। जानते है पक्षिओ की प्रजाति के बारे में जो विलुप्त हो चुकी है या होने वाली है।

1) आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx)
यह पक्षी दुनिया का सबसे पहेला पक्षी था जो धरती पर Prehistoric काल में मोजूद था था जीकी उत्पत्ति 140 करोड़ साल पहेले हुई थी। इस पक्षी को आद्य या आर्कियोप्टेरिक्स कहा जाता है। आर्कियोप्टेरिक्स पक्षी के पूरे विश्व में सिर्फ 2 फॉसिल्स मिले हैं उनमे से भारत के जयपुर में मोजूद है। इनमें से एक फॉसिल यूके के रॉयल म्यूजियम में तथा दूसरा फॉसिल राजस्थान यूनिवर्सिटी के महाराजा कॉलेज में रखा हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े और खतरनाक जानवर

2) ड्रोमोनिर्स (Dromornis stirtoni)
500 से 600 किलो वजन वाला पक्षी ड्रोमोनिर्स ऑस्ट्रेलिया के विशिष्ट विशाल पक्षियों में से एक था जो डेढ़ करोड़ से 26 हजार वर्ष पूर्व तक के समय के मध्य मौजूद था। यह पक्षी दिखने में वर्तमान एमु की तरह दीखता था हालांकि यह पक्षी एमु जैसा था मगर पुर्णत: एमु नही था। इस पक्षी को मिहिरंग पक्षी कहा जाता था। इनमे से कुछ वर्तमान एमु थोड़े बड़े थे पर स्तिटोनी 3 मीटर के करीब का था।

3) डोडो पक्षी (Raphus cucullatus)
विलुप्त पक्षियों में डोडो सबसे प्रमुख है। डोडो(रैफस कुकुलैटस)हिंद महासागरके द्वीपमॉरीशसका एक स्थानीय पक्षी था। यह उडानहिन पक्षिओ में सबसे बडे आकार का था। यह पक्षी कबूतर का नजदीकी रिश्तेदार था परन्तु इसकी ऊंचाई 3।3 फीट थी जबकि वजन करीब 20 किलो था।
इस पक्षी की विल्पुती का कारन भी हम इन्सान ही है। सन 1598 में डच समुद्री यात्री जब पहेली बार इस द्वीप पर आये तो उन्होंने इस पक्षी का शिकार करना शुरू किया क्यूंकि उड़ नहीं पाने की वजह से डोडो सबसे आशान शिकार था। इसी तरह डच यात्रिओ ने इस पक्षी की सारी प्रजातियो का शिकार कर दिया और यह पस्खी हमारी दुनिया से विलुप्त हो गए।

4) तस्मानियन इमु (Tasmanian Emu)
तस्मानिया इमू, इमू पक्षी की ही एक प्रजाति है। यह पक्षी भी तस्मानिया टाइगर की तरह तस्मानिया द्वीप में ही पाई जाती थी, यह पक्षी उड़ नहीं पाता था, तस्मानिया में यह काफी तादाद में पाए जाते थे लेकिन बाद में वहा के किशानो ने तस्मानिया टाइगर की तरह ही इसे एक फसल को नष्ट करने वाला पक्षी मानते हुए इसका शिकार किया और लगभग सारे पक्षियों को मार डाला गया।

5) कैरोलिना पेराकीट (Carolina Parakeet)
कैरोलिना पेराकीट तोते की एक ऐसी प्रजाति थी जिसमे पंखो में अलग अलग रंग देखने को मिलते थे। इसके पंखो में शामिल हरे ,लाल और पीले रंगो की वजह से यह बहुत आकर्षक लगता था।
कैरोलिना पेराकीट एकमात्र तोते की प्रजाति थी जो कि उत्तरी अमेरिका में पाई जाती थी, यह अलाबामा राज्य में मुख्य रूप से पाया जाता था लेकिन यह प्रवास करके ओहायो, आयोवा, इलिनॉइस आदि अमेरिका राज्यों में भी जाता था। महिलाओं के लिए हैट बनाने के लिए इनका शिकार बड़ी मात्रा में किया गया था। जिससे इनकी संख्या लगातार कम होती चली गयी और आखिरी कैरोलिना पेराकीट की मौत सिनसिनाटी जू में सन 1918 में हो गयी थी।

6) अरबी शुतुरमुर्ग (Arabian Ostrich)
शुतुरमुर्ग पक्षी पहेले मध्य और पूर्व में पाया जाता था लेकिन अब सिर्फ अफ्रीका में ही पाए जाते हैं। पहले यह अरब के रेगिस्तान में भी पाए जाते थे। इसकी प्रजाति में इमू, किवी आदि गिने जाते है। यह पक्षी 70 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से भाग सकता है।
अरब के अमीर लोगों ने खेल के रूप में इस पक्षी का शिकार करना शुरू किया, इस पक्षी का शिकार मास और अंडों उसके पंखों के लिए भी किया जाता था। इन्हें केवल मनोरंजन के लिए ही मारा गया इसका नतीजा यह निकला कि आज दुनिया से अरबी शतुरमुर्ग की पूरी प्रजाति ही खत्म हो गई है।

7) संदेश वाहक कबूतर (Passenger Pigeon)
पेसेंजर पीजन यानि की संदेश वाहक कबूतर कभी उत्तरी अमेरिका में भारी मात्रा में मोजूद थे। यह कबूतर हमारे भारतीय कबूतर की तरह ही थे लेकिन इसका रंग और आकार हमारे कबूतर से थोडा अलग था। यह कबूतर उत्तरी अमेरिका का के जंगल में पाए जाते थे।
बाद में उत्तरी अमेरिका में यूरोपीय देश के लोग आकर बसने लगे और सस्ते मांस के लालच में उन्होंने इनका शिकार करना शुरू कर दिया जिसके कारण इनकी संख्या धीरे धीरे कम होती गई। फिर भी यहाँ के लोग नहीं रुके और लगातार इसका शिकार करते गए और इसी तरह इसकी सारी प्रजाति विलुप्त हो गई।
इस तरह सिनसिनाटी चिड़ियाघर में मोजूद आखरी कबूतर मार्था की मोत (सन 1914) के साथ यह प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी। इस प्रजाति के विनाश का मुख्य कारन भी इन्सान ही है।

8) गिद्ध पक्षी (Vulture)
गिद्ध एक शिकारी पक्षी हे जो बहोत ही विशाल है। यह हमारे आसपास की गन्दगी , मरे हुए जानवर का माँस आदि खा जाता है जिसकी वजह से हमारे आसपास गंदकी कम होती थी। लेकिन अब हमारे विकाश के चलते हमको गिद्ध देखने के नहीं मिलते है। सन 1980 के दोरान में सिर्फ भारत में ही सफेद पूंछ वाले गिद्धों की संख्या करीब 80 मिलियन (800 लाख) थी जो की सन 2016 तक इनकी संख्या 40 हजार से भी कम हो गई थी।पिछली एक सत्ब्दी मे भारत, पाकिस्तान और नेपाल में गिद्ध की संख्या में 95 प्रतिसद कमी हो गई है।