यह सवाल कई दिन से मेरे मन में चल रहा है,
जो कल तक दिल में था आज क्यों बदल रहा है,
जो मेरे विचारों का सूरज था आज क्यों ढल रहा है,
दुश्मनी पे क्यों उतारू है जानने को दिल मचल रहा है,
दिल का आइना देखा तो जान पाया कि.
वोह तो किसी और के सांचे में ढल रहा है,
बस चन्द सिक्के दौलत के न जुटा पाया मैं,
तो किसी दौलतमंद के लिए राह बदल रहा है!
भारत माता की बेटी को न्याय क्यों नहीं मिला
पुकारती है निर्भया लोकतंत्र के अपने उन अधिकारों कोकहना चाहती दर्द वो अपना सत्ता के भेड़िए नेताओ कोनोच नोच कर खाने वाले बलात्कारी नरभक्षी हेवानो कोचुप क्यों हो जाता प्रशासन…