भारत में संकट बनते रोहिंग्या शरणार्थी

Indore Dil Se - Artical
प्रमोद भार्गव
वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार
शब्दार्थ 49, श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी, म.प्र.
मो. 09425488224
फोन 07492 232007

म्यांमार में सेना के दमनात्मक रवैये और पड़ोसी बांग्लादेश सरकार का रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सख्त रवैये के चलते भारत में लिए मुश्किलें बढ़ा दी है। पिछले पांच साल में भारत में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में 10,000 और आंध्रप्रदेश में 3800 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने अवैध रूप से घुसपैठ करके शरण ले रखी है। ये शरणार्थी भारत छोड़ने को तैयार नहीं हैं। जबकि भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में रोहिंग्या विद्रोहियों और सेना के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस टकराव में अब तक 400 से भी ज्यादा रोहिंग्याओं की मृत्यु हो चुकी है। सेना ने इन्हें ठिकाने लगाने के लिए जबरदस्त मुहिम छेड़ रखी है। नतीजतन 60 हजार से भी ज्यादा रोहिंग्या म्यांमार से पलायन कर चूके है। म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है। जबकि इस देश में एक अनुमान के मुताबिक 11 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं। इनके बार में धारणा है कि ये मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। इन्होंने वहां के मूल निवासियों के आवास और आजीविका के संसाधनों पर जबरन कब्जा कर लिया है। इस कारण सरकार को इन्हें देश से बाहर निकालने को मजबूर होना पड़ा है। इनका म्यांमार से पलायन भारत के लिए संकट का सबब बन रहा है। दरअसल सुरक्षा एजेंसियों ने इन शरणार्थियों पर आंतकी समूहों से संपर्क होने की आशंका जताई है।

ये रोहिंग्या शरणार्थी भारत छोड़ने को तैयार नहीं है। शरणार्थियों ने कहा, कि उन्हें भारत में ही मार दिया जाए, लेकिन अत्याचार सहने के लिए वापस म्यांमार न भेजा जाए। हैदराबाद में 3.800 से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों ने शरण ले रखीं है। कुछ दिनों पहले गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने संसद में जानकारी दी थी, कि सभी राज्यों को रोहिंग्या समेत सभी अवैध शरणार्थियों को वापस भेजने का निर्देश दिया गया है। सुरक्षा खतरों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। आशंका जताई गई है कि 2015 में बोधगया में हुए बम विस्फोट में पाकिस्तान स्थित आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने रोहिंग्या मुस्लिमों को आर्थिक मदद व विस्फोटक सामग्री देकर इस घटना को अंजाम दिया था। जम्मू के बाद सबसे ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी हैदराबाद में ही रहते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें जम्मू-कश्मीर में रह रहे म्यांमार के करीब 10,000 रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करके उन्हें अपने देश वापस भेजने के तरीके तलाश रही हैं। रोहिंग्या मुसलमान ज्यादातर जम्मू और साम्बा जिलों में रह रहे हैं। ये लोग म्यांमार से भारत-बांग्लादेश सीमा, भारत-म्यांमार सीमा या फिर बंगाल की खाड़ी पार करके अवैध तरीके से भारत आए हैं। यहां अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के मुददे पर केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्शि ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में जम्मू-कष्मीर के मुख्य सचिव बलराज शर्मा और पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने भी हिस्सा लिया था। आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के अलावा असम, पश्चिम बंगाल, केरल और उत्तर प्रदेश में कुल मिलाकर लगभग 40,000 रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर देश का ऐसा प्रांत है, जहां इन रोहिंग्या मुस्लिमों को वैध नागरिक बनाने के उपाय स्थानीय सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में अक्टूबर 2015 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि जम्मू में 1219 रोहिंग्या मुस्मिल परिवारों के कुल 5107 सदस्य रह रहे हैं, जिनमें से 4912 सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त द्वारा शरणार्थी का दर्जा दिया जा चुका है। जून 2016 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बताया था कि म्यांमार और बांग्लादेश से आए करीब 13,400 शरणार्थी राज्य के विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं। यह गौर करने लायक है कि जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात में विस्थापित पंडित कश्मीर में अपने घुरों में वापस नहीं लौट पा रहे हैं, जबकि रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी वहां किसी भी आश्रय पाने में सफल हो रहे हैं। यह तब हो रहा है, जब जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सहयोग से महबूबा मुफ्ती सरकार चला रही हैं। इनका यहां बसना इसलिए खतरनाक है, क्योंकि यहां इस्लाम धर्म और पाकिस्तानी शह के कारण आतंकवादी और अलगाववादी संघर्श छेड़े हुए हैं। ऐसे में धर्म के आधार पर आतंकी इन्हें भारत के खिलाफ बरगला सकते हैं। यह  आशंका इसलिए भी संभव है कि हाफिज सईद को आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। इसलिए वह कालांतर में जम्मू-कश्मीर के शरणार्थी शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के युवाओं को जिहाद के लिए भड़काने का काम कर सकता है। इसलिए इन्हें शरणार्थी के रूप में यहां बसाना देशहित में कतई नहीं है।

पांच साल से भी ज्यादा वर्षो से यहां रह रहे शरणार्थियों ने भारत सरकार से मानवीय आधार पर वापस भेजने की योजना को टालने का अनुरोध किया है। क्योंकि म्यांमार और बांग्लादेश इन रोहिंग्याओं को भारत सरकार के कहने पर भी  किसी भी हाल में वापस लेने को तैयार नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन भारत पर दबाव डाल रहे हैं कि वह इन मुसलमानों को योजनाबद्ध तरीके से भारत में बसाने का काम करें। जबकि इसके उलट मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट्स वॉच ने हाल ही में उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों के आधार पर दावा किया हैं कि म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याबहुल करीब 3,000 गांवों में आग लगा दी हैं। जिनमें से 700 से भी ज्यादा घर जलकर तबाह हो गए हैं। इस सैन्य अभियान के कारण 40,000 रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं और 20,000 से भी ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार व बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में फंसे हैं। इस हकीकत से रूबरू से होने के बाबजूद संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स वॉच म्यांमार पर तो कोई नकेल नहीं कस पा रहे हैं किंतु भारत पर इन घुसपैठियों पर सिलसिलेबार बसाने का दबाव बना रहे हैं। यही नहीं म्यांमार सरकार ने संयुक्त राश्ट्र के इस दावे को झुठलाते हुए पलटबार करते हुए कहा है कि रोहिंग्या विद्रोहियों ने सेना के 13 जवानों, दो अधिकरियों और 14 नागरिकों की हत्या कर दी है। नतीजतन जवाबी कार्रवाई में सेना को सख्त कदम उठाना पड़ा है। बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्याओं पर कई तरह के प्रतिबंध हैं और रोहिंग्या म्यांमार सरकार पर नस्लीय हिंसा का आरोप भी लगा रहे हैं। बाबजूद सेना विद्राहियों का दमन करने में लगी है।

यही नहीं विश्व के तेरह नोबेल पुरस्कार विजेताओं और दस वैष्विक नेताओं ने एक संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हो रही हिंसा पर म्यांमार को सख्त संदेश देने की मांग की है। राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव और रखाइन राज्य को लेकर बने म्यांमार एडवाइजरी कमीशन के अध्यक्ष कॉफी अन्नान ने कहा है कि पत्रकारों को नरसंहार का ठप्पा लगाने से बचना चाहिए। विष्व अब जान चुका है कि वहां अब क्या हो रहा ? बांग्लादेश पहुँचने वाले शरणार्थियों ने वहां के भयावह हालात बयान किए हैं। विश्व के प्रतिश्ठत लोगों की मांग, एक तरह से बांग्लादेश की सरकार की मांग का ही दोहराव है। बांग्लादेश सरकार मांग करती रही है कि म्यांमार अपने नागरिकों को वापस बुला ले क्योंकि वो बांग्लादेशी नहीं हैं, जैसा कि झूठ म्यांमार बोलता रहा है। रोहिंग्याओं पर सरकार का आरोप है कि रोहिंग्याओं के एक समूह ने पुलिस पर हमला किया है। इसमें  कुछ पुलिसकर्मी मारे भी गए हैं, लेकिन इसके लिए पूरा समुदाय जिम्मेदार नहीं है। बाबजूद म्यांमार की सेना बेखौफ रोहिंग्याओं पर अपना दमनचक्र जारी रखे हुए है। हालांकि इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर म्यांमार जा रहे हैं। वहां होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में इस समस्या का क्या हल निकलता है, यह वार्ता के परिणाम आने पर ही पता चलेगा।

IDS Live

Related Posts

मातृभूमि संरक्षक की गौरव गाथा

अफजल खान ने गले मिलते वक्त शिवाजी की पीठ में कटार घोंप दी , तब शिवाजी ने अपनी अगुलियों में छुपाये बाघनख को अफजल के पेट में घुसेङ दिया जिससे…

चुनाव के दौरान रंग भेद की राजनीति

लोकसभा चुनाव के दौरान राजनेताओं के बयान सुनकर ऐसा लगने लगता है कि ये अपनी हदों को पार कर करने लगे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता सैम…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट