तू जानती है न मां, तेरा बेटा पत्रकार है…
मां तू नाराज न होना इस दिवाली मैं नहीं आ पाउंगा
तेरी मिठाई मैं नहीं खा पाउंगा
दिवाली है तुझे खुश दिखना होगा
शुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगा
तू जानती है यह पूरे देश का त्योहार है
और यह भी मां कि तेरा बेटा पत्रकार है
मैं जानता हुं पड़ोसी बच्चे पटाखे जलाते होंगे
तोरन से अपना घर सजाते होंगे
तु मुझे बेतहाशा याद करती होगी
मेरे आने की फरियाद करती होगी
मैं जहां रहूं मेरे साथ तेरा प्यार है
तू जानती हैं ना मां तेरा बेटा पत्रकार है
भोली मां मैं जानता हूं तुझे मिठाईयों में फर्क नहीं आता है
मोल भाव करने का तर्क नहीं आता है
बाजार भी तुम्हे लेकर कौन जाता होगा
पूजा में दरवाजा तकने कौन आता होगा
तेरी सीख से हर घर मेरा परिवार है
तू समझती है ना मां तेरा बेटा पत्रकार है
मैं समझता हूं मां बुआ दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़ेगा
अब कठोर नारियल घर में कौन तोड़ेगा
तू गर्व कर मां कि लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी
तेरे बेटे के कलम की दिवाली सबकी होगी
लोगों की खुशी में खुशी मेरे व्यवहार है
तू जानती है न मां
तेरा बेटा पत्रकार है
Author :– पत्रकार देवेश तिवारी, अमोरा