तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??
तुम तो नक्सलियों के साथ देश के विरुद्ध ही लड़ते रहे..
तुम तो पुलिस, CRPF और पैरामिलेट्री फोर्स से RDX बिछाकर , बम से उड़ाकर और घात लगाकर लड़ते रहे ..
तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?
तुम तो कभी नार्थईस्ट, तो कभी पंजाब , तो कभी कश्मीर को भारत से अलग करने के लिये लड़ते रहे ..
तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??
तुम तो भारत को सिर्फ बाबर, औरंगजेब , खिलजी, टीपू की विरासत साबित करने के लिये लड़ते रहे ! प्राचीन इतिहास को मिटाने के लिये लड़ते रहे ..
तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??
तुम तो 60 साल तक हथियारों की खरीददारी में कमीशन खाने के लिये लड़ते रहे! तुम तो घोटालो की मलाई चाटने के लिये लड़ते रहे ..
तुम अस्पताल के लिये लड़ते कब ??
तुम्हें एनजीओ बना-बनाकर लूट मचाने से फुर्सत मिलती तब तो तुम लड़ते ..
तुम अस्पताल के लिये लड़ते कब ??
तुम्हें जातियों में ज़हर घोलकर, अलगाववाद को बढ़ावा देकर विदेशी एजेंसियो को खुश करके अवार्ड लेने से फुर्सत मिलती तब तो तुम लड़ते ..
तुम अस्पताल के लिये लड़ते कब ??
तुम्हें पर्यावरण के नाम पर सड़क पर लेटकर बाँध, हाईवे, उद्योगों के काम बंद करवाने से फुर्सत मिलती तब तो तुम लड़ते ..
तुम अस्पताल के लिये लड़ते कब ??
तुम्हें टाटा-बिड़ला, अडानी – अंबानी को कोसने से फुर्सत मिलती तब तुम लड़ते ..
तुम अस्पताल के लिये लड़ते कब ??
तुम्हें अर्बन नक्सल और अलगाववादीयों के लिये प्लानिंग करने और उनके कोर्ट केस लड़ने से फुर्सत मिलती तब तो तुम लड़ते ..
कोई अकेला आदमी राजस्थान के रेगिस्तान में 20 सालों में हजारों पेड़ लगाकर पर्यावरण बचाने के लिये लड़ता है और कोई एक्टिविस्ट घर में चार प्लेकार्ड्स बनाकर ‘अर्थ डे पर उनके साथ फोटो खिंचवा कर पर्यावरण बचाने के लिये लड़ता है …
साभार :- विशाल वर्मा