इंदौर (IDS-PRO) कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आज जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक डागरिया,जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री संजय सिसोदिया तथा जिले के प्रमुख चिकित्सकों ने भाग लिया। बैठक में कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने कहा कि जिले में नसबंदी और टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करें। उन्होंने कहा कि जिले में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये सभी गर्भवती माताओं और बच्चों का टीकाकरण जरूरी है। बैठक में ममता अभियान की भी समीक्षा की गयी।
कैंसर रोगियों के लिये लगेंगे जिले में 6 स्वास्थ्य परीक्षण शिविर
कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सर्वेक्षण कर कैंसर रोगियों की पहचान कर ली गयी है। आगामी 20 नवम्बर से 30 नवम्बर तक महू, देपालपुर, सांवेर, जिला चिकित्सालय, सेठ हुकुमचंद चिकित्सालय, पी.सी.सेठी चिकित्सालय में छह स्थानों पर इंदौर कैंसर फाउण्डेशन राऊ के सौजन्य से कैंसर परीक्षण शिविर लगाकर कैंसर रोगियों की पहचान की जायेगी। उसके बाद उनके इलाज की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा की जायेगी। कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने स्वास्थ्य अधिकारियों से मलेरिया और डेंगू पर नियंत्रण और निगरानी रखने के निर्देश भी दिये।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.डागरिया ने बताया कि जिले में नसबंदी का 66 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो गया है। शेष लक्ष्य 31 जनवरी, 2015 तक पूरा हो जायेगा। जिले में दिसम्बर माह में नेत्र चिकित्सा शिविर लगाये जायेंगे। जिले में ममता अभियान पिछले दो माह से चल रहा है, जिसके तहत गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाये जा रहे हैं। इस ममता रथ पर जीपीएस सिस्टम भी लगा है, जिसकी मानीटरिंग स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल से की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिले में सभी गर्भवती माताओं और बच्चों का टीकाकरण अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर इन दोनों बीमारियों की रोकथाम के लिये सतर्क रहें। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि जिले में महिला नसबंदी के बजाय पुरूष नसबंदी का विशेष प्रचार-प्रसार किया जाये। उन्होंने कहा कि पुरूष नसबंदी पर 2 हजार रुपये और महिला नसबंदी पर एक हजार चार सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है और प्रेरक को 300 रुपये प्रति नसबंदी दिये जा रहे हैं। बैठक में स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद थे।