
करवा चौथ का उद्यापन विशेष प्रकार से होता है। करवा चौथ का उद्यापन या उजमन करने वाली महिला उद्यापन से पहले एक वर्ष तक प्रत्येक महीने पूर्णिमा के बाद वाली चौथ का व्रत करती है।
करवा चौथ सबसे बड़ी चौथ होती है। इसलिए इसे सभी करते है। विवाह चाहे किसी भी महीने में हो चौथ का व्रत “करवा चौथ ” से ही प्रारम्भ किया जाता है।
कुछ स्थान पर चार चौथ के व्रत किये जाते है। करवा चौथ, माही चौथ (इसे से तिल चौथ या संकट चौथ भी कहते है) वैशाखी चौथ और भादुड़ी चौथ। कुछ लोग दो ही चौथ करते है – करवा चौथ और सकट चौथ।
कुछ लोग प्रत्येक माह पूर्णिमा के बाद वाली चौथ का व्रत करते है।
करवा चौथ के व्रत का उजवना करने के बाद भी व्रत किया सकता है। जिसमे व्रत के दौरान पानी पी सकते है तथा फल खा सकते है।
करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि
करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ के दिन ही होता है।
तेरह ऐसी महिलाओं को, जो करवा चौथ का व्रत करती हों, सुपारी देकर भोजन पर आमंन्त्रित करें।
ये महिलाएं करवा चौथ का पूजन स्वंय के घर पर करके आपके यहाँ आकर व्रत खोलेंगी और भोजन करेंगी।
आप घर पर हलवा पूड़ी और सुविधानुसार भोजन बनाइये।
एक थाली में चार-चार पूड़ी तेरह स्थान पर रखें। इन पर थोड़ा-थोड़ा हलवा रखें। थाली पर रोली से टीकी करके चावल लगाएं। हाथ में पल्लू लेकर सात बार इस थाली के चारों और घुमाएँ। यह पूड़ी हलवा आमन्त्रित की गई तेरह महिलाओं को भोजन से पहले दिया जायेगा।
एक दूसरी थाली में सासु माँ के लिए भोजन रखें। उस पर एक बेस , सोने की लोंग , लच्छा , बिंदी , काजल , बिछिया , मेहंदी , चूड़ा आदि सुहाग के सामान रखें ,साथ में कुछ रूपये रखें। हाथ में पल्लू लेकर हाथ फेरकर इसे सासु माँ को दें, पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।
अब बुलाई गई तेरह महिलाओं को भोजन कराएँ। सबसे पहले चार चार पूड़ी वाली थाली से सबको परोसें। भोजन के पश्चात् महिलाओं को रोली से टीकी करें फिर एक प्लेट में सुहाग के सामान रखकर उपहार स्वरूप दें।
देवर या जेठ के लड़के को सांख्या-साखी (साक्षी) बनाकर उसे खाना खिलाएँ। उसे नारियल और रूपये दें।
यदि तेरह महिलाओं को घर पर आमंत्रित करके भोजन कराना संभव ना हो तो उनके लिए परोसा (एक व्यक्ति जितना भोजन और चार चार पूड़ी जो निकाली थी उसमे से पूड़ी हलवा) और सुहाग के सामान आदि उनके घर पर भिजवाया जा सकता है।
इस दिन भोजन में पूड़ी , हलवा के साथ छोले की सब्जी , गोभी की सब्जी , पनीर की सब्जी , मिर्ची के टपोरे आदि अपनी सुविधा के अनुसार या परिवार के रिवाज के अनुसार बना सकते है।
नोट : – भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग ना करें।
इस प्रकार उद्यापन सम्पूर्ण होता है।
।। चौथ माता की जय ।।