आगरा की एक युवती ने इस पुरानी कहावत को सही साबित कर दिखाया कि बूंद-बूंद से समंदर बनता है। दो साल पहले उन्होंने 500 गुल्लक आगरा की इतनी ही दुकानों पर रखे थे और सभी से सिर्फ एक रुपये प्रतिदिन इसमें डालने का अनुरोध किया था। एक-एक रुपये कर आज उनके पास करीब ढाई लाख रुपये एकत्र हो चुके हैं।
उनका मकसद इन पैसों से एक ऐसे अस्पताल का निर्माण करना था, जहां गरीबों को उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके। उनका यह सपना हालांकि अब तक पूरा नहीं हो सका है, लेकिन वह अपने इस प्रयास से पहले ही एक जिंदगी बचा चुकी हैं। यह कारनामा कर दिखाने वाली हैं आईटी पेशेवर सपना अग्रवाल, जिनकी उम्र अभी 30 साल भी पूरी नहीं हुई है।
सपना ने ‘माले वेलफेयर सोसाइटी’ नाम से अपना गैर-सरकारी संगठन बनाया और एक-एक सिक्के के रूप में मिले अनुदान को एकत्र करना शुरू किया। सपना ने कहा, “सिर्फ एक बूंद नाकाफी हो सकती है, लेकिन जब कई बूंद मिल जाती है तो वे बारिश की तरह खुशी व जीवन के लिए सहायक साबित होती हैं।”
सपना को इस काम की प्रेरणा दो साल पहले तब मिली थी जब उनके माता-पिता बीमार थे और शहर में खराब चिकित्सा व्यवस्था की वजह से उन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने आगरा में विश्वस्तीय अस्पताल बनाने का निर्णय लिया, जहां गरीबों को नि:शुल्क इलाज मिल सके।
उनका यह सपना हालांकि अब तक पूरा नहीं हो पाया है, लेकिन पिछले दो साल में एकत्र हुए करीब ढाई लाख रुपये से वह एक गरीब परिवार की युवती को बचा चुकी हैं, जो हृदय रोग की वजह से पिछले करीब आठ साल से बिस्तर पर थी। 20 वर्षीया कंचन के हृदय के बाल्व में गड़बड़ी थी। उसकी मां कमलेश बेटी को बचाने के लिए हर जगह गईं। लेकिन उन्हें मदद मिली तो सपना से।
सपना ने अपने गैर सरकारी संगठन के जरिये कंचन के इलाज के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई। परिणामस्वरूप उसका ऑपरेशन हो सका। लेकिन बेटी को पूरी तरह ठीक रखने के लिए कमलेश को और पैसों की जरूरत है, जिसके लिए सपना ने लोगों से मदद का आह्वान किया है।