उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक फायरब्रांड नेता की है। उन्होंने अपनी छवि के अनुरूप ही यूपी विधानसभा में 16 दिसम्बर को बेहद तल्ख लहजे में विपक्ष पर हमला किया। उनके जबरदस्त भाषण के दौरान पूरे सदन में चुप्पी छाई रही। उनके भाषण के बाद भी विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि वो उनके तर्कों और तथ्यों का क्या जवाब दे। योगी जी की यही विशेषता है कि वो अपनी बात पूरे तर्क और तथ्य के साथ रखते हैं। उनकी कठोर से कठोर कार्यवाही कानून के अनुसार होती है। पूरा देश उन्हें बुलडोज़र बाबा के नाम से जानता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी उनके बुलडोजर को रोक नहीं पाया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस आने के बाद भी उनका बुलडोजर गरज रहा है क्योंकि उनकी सरकार अपनी सारी कार्यवाहियों को कानून के दायरे में रहकर करती है। भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं को उनमें भावी प्रधानमंत्री दिखाई देता है। देखा जाए तो वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में वो अकेले ऐसे नेता हैं जिन्हें मोदी का उत्तराधिकारी कहा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि भाजपा एक कैडर बेस पार्टी है इसलिये कैडर की भावनाओं के खिलाफ पार्टी नहीं जा सकती। इसके अलावा देश की जनभावनाओं को देखते हुए भी कहा जा सकता है कि वो मोदी के बाद देश के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। जैसे मोदी जी एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पूरे देश में लोकप्रिय हो चुके थे ऐसे ही योगी जी की लोकप्रियता पूरे देश में फैल चुकी है। भाजपा में चुनाव प्रचार के लिए मोदी जी के बाद सबसे ज्यादा मांग योगी जी की होती है। अगर आज मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह भाजपा कार्यकर्ताओं में उनकी लोकप्रियता थी। भाजपा संगठन में अपने कैडर की इच्छा के विपरीत जाने की हिम्मत नहीं हुई।
मुझे लगता है कि भारतीय राजनीति में इतना दबंग मुख्यमंत्री कभी नहीं आया है। जिस साफगोई से योगी अपनी बात कह रहे हैं, वो राजनीति में एक विलक्षण चीज है। वो बिना किसी लाग-लपेट के पूरी स्पष्टवादिता के साथ अपनी बात रख रहे हैं। संभल हिंसा में 5 दंगाईयों के मारे जाने पर विपक्ष उन्हें घेरना चाहता है लेकिन वो रक्षात्मक होने की जगह आक्रामक तरीके से मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने संभल दंगों का पूरा इतिहास सदन में रख दिया और कहा कि संभल दंगों में 209 हिन्दुओं की हत्या हो चुकी है लेकिन विपक्ष उस पर बोलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने संभल हिंसा के दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का संदेश सदन में दे दिया। उन्होंने कहा कि बिना साक्ष्य किसी को पकड़ा नहीं जा रहा है और अपराधियों को वो छोड़ने वाले नहीं हैं। उन्होंने 46 साल पुराने मंदिर के मिलने पर कहा कि आपने मंदिर नहीं तोड़ा आपका अहसान है लेकिन वहां 22 कुंओं को किसने पाट दिया और कुंओं में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां क्यों मिल रही हैं। योगी ने अल्लामा इकबाल का ‘तराना-ऐ-मिल्ली’ पढ़ कर सुनाया और उन्हें जेहादी करार दिया। जो लोग इकबाल को गंगा-जमुनी तहजीब का रहनुमा घोषित करते हैं, उन पर बड़ा प्रहार किया है। एक समाजवादी नेता ने कहा कि दंगा इसलिए हुआ क्योंकि हिंदुओं ने जय श्री राम का नारा लगाया था। इस पर योगी ने कहा कि इससे आपको दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं कहूं कि मुझे अल्लाह-हु-अकबर से दिक्कत है तो क्या आप बोलना बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि जब मंदिर और हिन्दू मोहल्ले से मुस्लिम जुलूस और यात्रा निकल सकती है तो मस्जिद और मुस्लिम मोहल्ले से हिन्दू यात्रा क्यों नहीं निकल सकती। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी यात्राओं पर दंगा होता है तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम जलूस और त्यौहारों पर समस्या नहीं खड़ी होगी लेकिन हिन्दू जलूस और त्यौहार पर अगर कोई समस्या खड़ी करेगा तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी। धर्मनिरपेक्षता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता पर बात करना व्यर्थ हैं क्योंकि मूल संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द नहीं है।
योगी अब राजनीति का एजेंडा तय कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने ही ‘बटोगे तो कटोगे’ का नारा दिया जिसे बाद में पूरी भाजपा ने अपना लिया। उनका यह नारा अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया है। अब ये सिर्फ भाजपा का नारा नहीं रह गया है, ये पूरे हिन्दू समाज की आवाज बन गया है। मुझे लगता है कि ये नारा बहुत दूर तक जाने वाला है। उन्होंने बांग्लादेश, संभल, ज्ञानवापी और अयोध्या के दंगाइयों की बात करते हुए कहा कि सबका डीएनए एक है । योगी ने दिखा दिया है कि हिन्दू और हिंदुत्व की बात करते हुए उन्हें किसी किस्म का डर नहीं है और न ही किसी किस्म की शर्म है। मामला अदालत में चल रहा है, इसके बावजूद वो ये कहने से नहीं हिचके कि जुमे की नमाज से पहले जो मस्जिद में तकरीर की गई उसके कारण दंगा हुआ। यही योगी की पहचान है, जब उन्होंने राजनीति शुरू की थी तब ही बोल दिया था कि मैं हिन्दू हूं और ईद नहीं मनाता। इसके बावजूद उनके प्रशासन की विशेषता यह है कि उन्होंने कभी धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया है। उनके शासन में यूपी सरकार की किसी भी योजना में मुस्लिमों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि यूपी में मुस्लिमों की जनसंख्या बीस प्रतिशत है और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ चालीस प्रतिशत के करीब मिल रहा है। योगी जब बोलते हैं तो वो राजनीतिक लाभ-हानि को देखकर नहीं बोलते क्योंकि सत्ता का मोह उनको नहीं है। योगी कहते हैं कि औरंगजेब और बाबर भारत की पहचान नहीं हैं, भारत की पहचान राम-कृष्ण और गौतम बुद्ध हैं। भारत बाबर और औरंगजेब को अपना आदर्श नहीं मान सकता, भारत तो राम-कृष्ण और गौतम बुद्ध के रास्ते पर ही चलेगा। मस्जिदों के नीचे मंदिर ढूढंने की बात पर वो कहते हैं कि मंदिरों को तोड़कर उनकी जमीन पर मंदिरो के मलबे से मस्जिदों का निर्माण क्यों हुआ, इसका जवाब मुस्लिम समुदाय और सेक्युलरों को देना चाहिए। उनके कहने का मतलब यही है कि यह करतूत इसलिए की गई है ताकि हिन्दुओं का अपमानित किया जा सके।
योगी की एक विशेषता यह है कि वो अपनी बात बेहद स्पष्ट तरीके से सरल भाषा में कहते हैं ताकि उनकी बात जनता तक पहुंच सके। वो जानते हैं कि जनता जटिलताओं को नहीं समझती। वो भाजपा के नेताओं को समझा रहे हैं कि जटिल भाषा और छुपा कर बोलने से कुछ नहीं होने वाला, खुलकर बोलना होगा तभी आम जनता तक बात पहुंचेगी। योगी कानून के अनुसार काम करते हैं।
उन्होंने कानूनी तरीके से सिर्फ अवैध संपत्तियों को ही गिराया है। यही कारण है कि जिन लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया है उनकी हिम्मत अदालत जाने की नहीं हुई। विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि वो योगी के हमलों पर क्या प्रतिक्रिया दे और कैसे दे। उनके तर्कों और तथ्यों की काट विपक्ष के पास नहीं है इसलिये इधर-उधर की बात करके उन पर हमला किया जाता है। योगी राजनीति में एक बड़ी लकीर खींच रहे हैं, जिसके सामने दूसरे नेताओं की लकीर बहुत छोटी नजर आ रही है। उनके भाषण के दौरान पूरा विपक्ष बिल्कुल चुप था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इसका क्या जवाब दे। इसके अलावा अगर किसी नेता ने कोई सवाल उठाया भी तो उन्होंने उसका करारा जवाब दिया। उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर करारा प्रहार किया है और स्पष्ट कर दिया है कि वो हिंदुत्व की राजनीति करेंगे, चाहे कोई कुछ भी बोलता रहे। विपक्ष के लिए समस्या यह है कि वो मोदी जी के जाने का इंतजार कर रहा है लेकिन उसे अब डर लग रहा है कि मोदी के जाने के बाद अगर योगी सत्ता में आ गए तो उसकी मुश्किल बहुत बढ़ने वाली है। मोदी विपक्ष के हमले को सहन कर लेते हैं लेकिन योगी हर हमले का जवाब देते हैं। शायद यही कारण है कि भाजपा समर्थक योगी के आने का इंतजार कर रहे हैं। वास्तव में योगी हिन्दू मन की बात कह रहे हैं। वो हिंदुओं की आवाज बन चुके हैं जिसे अभी तक धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दबाया गया है। योगी में हर हिन्दू खुद को देख रहा है, ये आने वाले समय में विपक्ष की बड़ी समस्या बनेगी।