मेरे दिल के ज़ज़्बे की तुम्हे, कुछ खबर तो है.
मेरी बातो का भी तुमपर, कोई असर तो है..
माना कि ज़ुबा से मैं ज़रा, काम कम लेता हूँ.
पर इज़हारे इश्क़ करने को, झुकी नज़र तो है..
यूँ तो अंदाज़ आपके, हर बात बयाँ करते हैं.
जवाब की फिर भी, तुम्हारे कसर तो है..
सोचता हूँ ये सोचना, कहीं भूल न हो मेरी.
कि दिल मे भी तुम्हारे उठा, कोई भंवर तो है..
कहे दिल जो तुम्हारा, करना वही फ़ैसला.
सह सकता हूँ इंकार भी, इतना ज़िगर तो है..
Author: Atul Jain Surana