परीक्षाओ का
शुरू हो गया ,
नींद में खलल पड़ी है ।
टी .वी .,पी .सी .बंद हुए,
खेल कूद सब रद्द हुए ।
आई इम्तहान की बेला है ।
मम्मी की डाट पड़ रही ,
पापा वक्त की कीमत ,समझा रहे है ।
दीदी ,भैया को,दी हिदायत,
मेरी मदद ,करने को कह रहे है ।
रात -रात भर नींद ना आये
याद करू वो भी भूलूं ,जाये
शब्द दौड़ेते इधर उधर
फिरते जान किधर किधर
मुहं चिढाते, हमें समझाते,
समय की कीमत पहचानो ,
जैसे खेल में होती है ,
अभ्यास और लग्न की जरुरत ,
वैसे ही होता है रोज रोज ,
थोडा-थोडा पढने की जरुरत ।
बूंद बूंद से गागर भरता
सरिता सरिता से सागर भरता
वैसे ही रोज रोज के अध्यन से
है ज्ञान बढ़ता,
परीक्षाओ में होती है,
जब अंको की भरमार
मेधावी कहलाता है
माँ बाप का नाम रोशन करता
सबके आँखों का तारा होता है |
दुनिया में नाम कमाता ,
तिरंगे का है मान बढाता |
Author: Neelu Prem (नीलू प्रेम)