मेरे अश्क़ !!
बातूनी हैं बहुत
तन्हाइयों में
सखियों सी
बेहिसाब
बातें करते हैं—-
मेरे अश्क़ !!
हताशा का
रुख मोड़
अपनेपन से
मुस्कुराकर
मिलते हैं—-
मेरे अश्क़ !!
पारदर्शी
मोती के
वलय में
खुशियों के
सतरंगी रंग
भरते हैं—–
मेरे अश्क़ !!
ख़्वाबों को
लड़ियों में
पिरोकर
मन को
समझाते हैं
मेरे अश्क़ !!
भीगे बादल से
कभी
भोली धूप से
लरज़ते हैं—–
मेरे अश्क़!!
अंतहीन
तलाश का
मुक्ति मार्ग
बुहारकर
आशा सुमन
बिखेरते हैं
Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)