Tag Archives: Astrology

भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम हैं पवन पुत्र

जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमार घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। हनुमानजी को भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम बताया गया है। हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी …

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हनुमान जी से सीखिये सफलता पाने के सूत्र

वर्तमान में हर मनुष्य को अपने जीवन काल में सफलता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना होता हैं क्योंकि बिना संघर्ष के सफलता नहीं पाई जा सकती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं हनुमान है। जैसे – रामभक्त हनुमान ने भी लंका जाने के लिए और वहां माता सीता को खोजने के लिए बहुत संघर्ष किया था। इसलिए मनुष्य को …

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वास्तु में सूर्य का महत्त्व

सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।किसी भी मकान में रहने वाले प्राणी के लिए सूर्य का ताप व वायु दोनों महत्वपूर्ण हैं। जिस घर में सूर्य की किरणें और हवा का प्रवेश न हो, वह घर शुभ …

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आपका हस्ताक्षर बना सकता हैं आपका भाग्य

हस्ताक्षर (दस्तखत /सिग्नेचर) किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण आइना होता है अत: व्यक्ति के हस्ताक्षर में उसके व्यक्तित्व की सभी बातें पूर्ण रूप से दिखाई देती है। इस प्रकार हस्ताक्षर एक दर्पण है जिसमें व्यक्तित्व की परछाई स्पष्ट रूप से झलकती है। हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते है। जिन लोगों के …

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ह्रदय रोग के ज्योतिष कारण एवं उनका निवारण

सभी जानते हैं कि कुण्डली का छठा भाव रोग का होता है तथा छठे भाव का कारक ग्रह मंगल होता है। द्वितीय (मारकेश), तृतीय भाव, सप्तम भाव एवं अष्टम भाव(मृत्यु) का है। हृदय स्थान की राशि कर्क है और उसका स्वामी ग्रह चन्द्रमा जलीय है। हृदय का प्रतिनिधित्व सूर्य के पास है जिसका सीधा सम्बन्ध आत्मा से है। यह अग्नि …

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22 नवम्बर 2014 को शनि अमावस्या (शनिचरी अमावस्या )

सभी जानते हैं की मार्गशीर्ष अमावस्या का एक अन्य नाम अगहन अमावस्या भी है. इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है. जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजन कर दिपावली बनाई जाती है. इस दिन भी श्री लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है. इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान- दान आदि …

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कालभैरव अष्टमी 14 नवम्बर 2014 (शुक्रवार) को

शिव अवतार कहे जाने वाले कालभैरव का अवतार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ। इस संबंध में शिवपुराण की शतरुद्रासंहिता में बताया गया है शिवजी ने कालभैरव के रूप में अवतार लिया और यह स्वरूप भी भक्तों को मनोवांछित फल देने वाला है।कोयले से भी प्रगाढ़ रंग, विशाल प्रलंब, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले वस्त्र, रूद्राक्ष की …

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शनि वृश्चिक राशि में

वर्तमान में शनि वृश्चिक राशि में चल रहा हैं और रहेगा। इस कारण शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढय्या की स्थितियां बदल गई हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल रहता है। आइये जाने की किस राशि पर क्या होगा प्रभाव..? कन्या राशि- इस राशि को अब शनि से राहत मिलेगी, क्योंकि कन्या राशि से शनि की साढ़ेसाती …

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शनि का प्रवेश वृश्चिक राशि में

शनिदेव जब राशि परिवर्तन करते है तब दो राशियो पर ढैया तथा तीन राशियो पर साढेसाती का प्रभाव शुरू होता है । एक साथ में पाँच राशियो को विशेष रूप से प्रभावित करने कि क्षमता सिर्फ शनि मे है ।शनि मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। इसके अलावा तुला राशि में बीस डिग्री (अंश) उच्च का है जबकि मेश …

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वास्तु शास्त्र की उपयोगिता

वास्तुशास्त्र भारत का अत्यन्त प्राचीन शास्त्र है। प्राचीन काल में वास्तुकला सभी कलाओं की जननी कही जाती थी। आज भी जितने भवन और बिल्डिंग आदि बन रही है अधिकांश में वास्तु के हिसाब से बनाया जा रहा है। आइये जानते है वास्तु के कुछ नियम :- वास्तु शास्त्र तीन प्रकार के होते हैं – वास्तु शास्त्र आवासीय – मकान एवं फ्लैट …

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