” हिंदी दिवस के लिए विशेष … “ छात्र जीवन में अनायास ही एक बार दक्षिण भारत की यात्रा का संयोग बन गया। तब तामिलनाडु में हिंदी विरोध की बड़ी चर्चा होती थी। हमारी यात्रा ओड़िशा के रास्ते आंध्र प्रदेश से शुरू हुई और तामिलनाडु तक जारी रही। इस बीच केरल का एक हल्का चक्कर भी लग गया। केरल की …
Read More »रेल हादसों से क्या सीखा हमने …
एस- सात कोच की बर्थ संख्या 42 व 43 । 12477 पुरी – हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस में यही हमारी सीट थी। जिससे एक दिन पहले ही हम झांसी पहुंचे थे। दूसरे दिन इसी उत्कल एक्सप्रेस के मुजफ्फरनगर में हादसे का शिकार होने की सूचना से मुझे बड़ा आघात लगा। क्योंकि एक दिन पहले इसी ट्रेन में सफर की याद मन …
Read More »कैसी – कैसी आजादी …!
फिर आजादी … आजादी का वह डरावना शोर सचमुच हैरान करने वाला था। समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह कैसी आजादी की मांग है। अभी कुछ महीने पहले ही तो देश की राजधानी में स्थित शिक्षण संस्थान में भी ऐसा ही डरावना शोर उठा था। जिस पर खासा राजनैतिक हंगामा हुआ था। कहां तो आजादी की सालगिरह …
Read More »मोदी राज में कितनी बदली भारतीय रेल …!
अक्सर न्यूज चैनलों के पर्दे पर दिखाई देता है कि अपनी रेल यात्रियों के लिए खास डिजाइन के कोच बनवा रही है। जिसमें फलां – फलां सुविधाएं होंगी। यह भी बताया जाता है कि जल्द ही ये कोच यात्रियों के सेवा में जुट जाएंगे। लेकिन हकीकत में तो ऐसे अत्याधुनिक कोचों से कभी सामना हुआ नहीं, अलबत्ता आम भारतीय की …
Read More »कांवड़ यात्रा पर किच – किच क्यों ?
बचपन के दिनों में श्रावण के महीने में अपने शहर के नजदीक से बहने वाली नदी से जल भर कर प्राचीन शिव मंदिर में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया करता था। कुछ बड़े होने पर शिवधाम के तौर पर जेहन में बस दो ही नाम उभरते थे। मेरे गृहप्रदेश पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध तारकेश्वर और पड़ोसी राज्य में स्थित बाबा …
Read More »योगी राज में कितना बदला उत्तर प्रदेश
यह विचित्र संयोग रहा कि सात साल बाद विगत मार्च में जब मेरा देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में जाना हुआ तब राज्य में विधानसभा के चुनाव अपने अंतिम चरण में थे, और इस बार जुलाई के प्रथम दिनों में ही फिर प्रदेश जाने का संयोग बना तब देश के दूसरे प्रदेशों की तरह ही यूपी में भी …
Read More »समय की रेत, घटनाओं के हवा महल …!
बचपन में टेलीविजन के पर्दे पर देखे गए दो रोमांचक दृश्य भूलाए नहीं भूलते। पहला क्रिकेट का एक्शन रिप्ले और दूसरा पौराणिक दृश्यों में तीरों का टकराव। एक्शन रिप्ले का तो ऐसा होता था कि क्रिकेट की मामूली समझ रखने वाला भी उन दृश्यों को देख कर खासा रोमांचित हो जाता था। जिसे चंद मिनट पहले हकीकत में होते देखा …
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