देश में आज भी छोटे-बड़े क़स्बों और गांव-देहात में पारंपरिक चूल्हे पर खाना पकाया जाता है। इनमें लकड़ियां और उपले जलाए जाते हैं। इसके अलावा अंगीठी का भी इस्तेमाल किया जाता है। अंगीठी में लकड़ी और पत्थर के कोयले जलाए जाते हैं। लकड़ी के बुरादे, काठी और तेंदुए के पत्तों से भी अंगीठी दहकाई जाती है। ऐसी अंगीठियां अमूमन उन …
Read More »बयानबाज़ी नहीं, कार्रवाई होनी चाहिए
गंगा-जमुनी तहज़ीब हमारे देश की रूह है. संतों-फ़क़ीरों ने इसे परवान चढ़ाया है. प्रेम और भाईचारा इस देश की मिट्टी के ज़र्रे-ज़र्रे में है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारे देश की संस्कृति के कई इंद्रधनुषी रंग देखने को मिलते हैं. प्राकृतिक तौर पर विविधता है, कहीं बर्फ़ से ढके पहाड़ हैं, कहीं घने जंगल हैं, कहीं कल-कल करती नदियां हैं, …
Read More »मुद्दा सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग का
भारत एक ऐसा देश है, जिसमें निज़ाम के लिहाज़ से कई देश बसते हैं. देश का एक निज़ाम अमीरों के लिए है, राजनेताओं के लिए है, प्रभावशाली लोगों के लिए है. ये सरकारी निज़ाम इनके एक इशारे पर इन्हें तमाम सुविधाएं मुहैया कराता है. इनमें वे सुविधाएं भी शामिल हैं, जिनकी इन्हें कोई ख़ास ज़रूरत नहीं होती. मसलन, बीमार होने …
Read More »नेशनल हेराल्ड से उम्मीद जगी
अख़बारों का काम ख़बरों और विचारों को जन मानस तक पहुंचाना होता है. सूचनाओं के इसी प्रसार-प्रचार को पत्रकारिता कहा जाता है. किसी ज़माने में मुनादी के ज़रिये हुकमरान अपनी बात अवाम तक पहुंचाते थे. लोकगीतों के ज़रिये भी हुकुमत के फ़ैसलों की ख़बरें अवाम तक पहुंचाई जाती थीं. वक़्त के साथ-साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान के तरीक़ों में भी बदलाव …
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