”छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया”

रह-रह कर याद आती है वह छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया बहुत, बार-बार…. मन-ही-मन मुसकराने वाली सारी दुनिया से न्यारी वह कोमल-सी छुटकी-सी फूलों-सी बिटिया. प्रश्न उठता है यह बार-बार क्यों…

''छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया''

रह-रह कर याद आती है वह छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया बहुत, बार-बार…. मन-ही-मन मुसकराने वाली सारी दुनिया से न्यारी वह कोमल-सी छुटकी-सी फूलों-सी बिटिया. प्रश्न उठता है यह बार-बार क्यों…

”भोलापन तेरी आँखों का”

भोलापन तेरी आँखों का , क्यूँ उतर-उतर आता है तेरे रस-भीगे ओंठों में, शब्द जो निकलना चाहते हैं… सकुचाकर दबे-दबे से क्यों ठहर-ठहर जाते हैं, रह जाते हैं मेरे मनोभाव…

''भोलापन तेरी आँखों का''

भोलापन तेरी आँखों का , क्यूँ उतर-उतर आता है तेरे रस-भीगे ओंठों में, शब्द जो निकलना चाहते हैं… सकुचाकर दबे-दबे से क्यों ठहर-ठहर जाते हैं, रह जाते हैं मेरे मनोभाव…

वह ‘लड़की’ याद आती है

उम्र की इस दहलीज पर जब देखकर हमें आईना भी बनाता है अपना मुँह, कुछ शरमाकर , कुछ इठलाकर मुसकराती-सी वह लड़की याद आती है …. जब हम भी थे…

वह 'लड़की' याद आती है

उम्र की इस दहलीज पर जब देखकर हमें आईना भी बनाता है अपना मुँह, कुछ शरमाकर , कुछ इठलाकर मुसकराती-सी वह लड़की याद आती है …. जब हम भी थे…